Tuesday, 14 January 2020

308:गजल:-रास्ता अगर भूल जाऊँगा

514/20:
रास्ता अगर भूल जाऊँगा अपने दिलदार का।
देखूँगा कैसे भला मुखड़ा सलोने सरकार का।।
कठिन है डगर पेंचोखम भी कुछ कम नहीं।
थकूँगा तो कहाँ होगा दीदार बाँके यार का।।
भटक रहा हूँ जाने कितने-कितने जनम से।
नतीजा निकले तो सही कुछ मनुहार का।।
जिसकी खातिर खोई सुध-बुध सारी अपनी।
सिला कुछ तो मिले उसपे किए एतबार का।।
बस वो रहे और वजूद पूरा पिघल जाए मेरा।
फसाना है बचा"उस्ताद"बस यही दरकार का।।
@नलिन#उस्ताद

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