Tuesday, 7 January 2020

301:गजल-बुझा कर ये रोशनी आए हैं

बुझा कर ये सभी रोशनी के चिराग आए हैं।
तालिबे इल्म के नाम बदनुमा दाग आए हैं।।
आलिम,फाजिल ये जो हैं पढ़ा रहे पट्टी इन्हें।
नामचीन नहीं ये तो असल खटराग आए हैं।।
जहर,नफ़रत,गद्दारी खून में जो भरी है इनके।
बस रचाकर ये उसे ही एक नया स्वांग आए हैं।।
पूरे ही मुल्क जब छनके बंटती हो लत लगाने को।
बेमानी है ये पूछना कहाँ से पीकर भांग आए हैं।।
सर अपना पीटने से होगा क्या कहो "उस्ताद"। 
दूध पिलाया था जिन्हें ये वही काले नाग आए हैं।।
@नलिन#उस्ताद

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