Thursday, 9 January 2020

304-गजल:खिले फूलों की करो बात

510/20:

खिले फूलों की करो बात,उड़ते परिंदों की करो बात। 
खिलखिलाने की कहो बात,चहकने की तुम कहो बात।।
जलती आग रहने दो बस चूल्हे की चौहद्दी तक।
आग नफरतों की अब जलाने की छोड़ दो बात।।
संग* हाथ लेकर संगदिल ही बनोगे तुम यार।*पत्थर 
सजाने को ख्वाब कूची उठाने की करो बात।।
मंजिल दूर है अभी जाना है सभी को उस पार। 
सो पकड़ के हाथ साथ चलने की चलाओ बात।।
"उस्ताद" जिंदगी को बनाने सुरमई और भी।
 दिलों को जोड़ें जो तराने तुम वही सुनाओ बात।।
@नलिन#उस्ताद

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