Saturday, 18 January 2020

311:गजल-रंग गिरगिट से

518/20:

रंग गिरगिट से बदलते हैं। 
ये चेहरे आईने से डरते हैं।।
पैसा,हैसियत,सियासत की खातिर।
ज़हर जितना कहो लोग उगलते हैं।।
ग़ैरों का भी बढ़ता है हौंसला।
जब अपने ही हमें छलते हैं।।
इन्हें तो बख्श दो ख़ुदा की खातिर।
ये नौनिहाल मासूम सब फरिश्ते हैं।।
तकदीर भी बदल जाती है "उस्ताद"।
उसे तदबीर से जब हम घिसते हैं।।
@नलिन#उस्ताद

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