Wednesday, 22 January 2020

314:गजल :ज़ुल्फ़ों से जो उसने

कल लिखी ग़ज़ल की ही अगली कड़ी जो आज के वक्त में लड़कियों के मिजाज पर एक अलग पक्ष को छूती हैं:On Demand:

522/20:को उसने

ज़ुल्फ़ों से जो उसने अपनी घौंसला सजा लिया।
अरमान भरे दिलों को बखूबी उसमें बसा लिया।।
उगे हैं पंख अभी नए ओ खुला आसमां दिख रहा।
सो उड़ने का बेरोकटोक उसने बस मन बना लिया।।
हवाओं के रुख़ से अब बेखौफ़,बेखबर रह रही है वो।
दिखाने अपना हौंसला जमाने से सारे ही पंगा लिया।।
अलहदा,कुछ फुलटाॅस,मौज-मस्ती भरा हो रोज़ अब।
मिज़ाज बिन्दास सा बेढब बड़ा सो नया अपना लिया।।
"उस्ताद" मूँदो अपनी आँखें या खोलके बस देखो।
सवालों के हल का अपने खुद से ही बीड़ा उठा लिया।।
@नलिन#उस्ताद

No comments:

Post a Comment