Friday, 21 September 2018

शिवेन सह मोदते

अद्भुत,अप्रतिम-अपार रूप शिवशंकर है तेरा।
सम्मुख खड़ा श्री चरणों के नत याचक मैं तेरा।।

शीश-जटा,निर्मल,पापमोचनी विराजती मां गंगा।
श्रीचरण प्रक्षालन सौभाग्य मानती अपना गंगा।।

त्रिनेत्र,सौम्य,मनोहर मुख"नलिन"छवि
दुःखहरता।
प्रभु तुम भक्तन के सदा सकल अमंगल 
क्षयकरता।।

हो तुम काल के महाकाल,थर-थर कांपे समस्त नरपाल।
देवों के तुम महादेव,पूजते यक्ष,देव,दनुज, दिगपाल।।

श्रीराम नाम सदा निरंतर जपते रहते मगन भाव।
दुःख-सुख,जन्म-मरण से परे सदा निर्विकार भाव।

हे"तारकेश"प्रभु  तुम तो अवढरदानी, अपरंपार।
भवसागर तारो हम जीवों को बन करनधार, अपार।।

@नलिन #तारकेश

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