Friday, 14 September 2018

संगदिली जो उसकी

उसकी जुल्फ के घोंसले में बस गया दिल। प्यार के गगन उड़,कुलांचे भर रहा दिल।।

हर कदम चूमेगी मंजिल इसमें शक नहीं।
बस जो करें हो उसमें धड़कता अपना दिल।।

आंखों में उसकी महक जब गीत गाने लगी।हो गया मीठा सागर सा,खारा मेरा दिल।।

हर दिन दिखाए दर्पण किस किस के चेहरे मुझे।
लगता है उम्र के साथ-साथ है सठिया गया दिल।।

संगदिली जो उसकी स्याही ने उड़ेली कागज। "उस्ताद"लिखते-लिखते ग़ज़ल गमगीन हो गया दिल।।

@नलिन #उस्ताद

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