Monday 17 September 2018

तो कोई क्या करे

               तो कोई क्या करे
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आस्था ही है हमारी बड़ी कमजोर,तो कोई क्या करे।
ईश तो हैं हर घड़ी पास ना दिखें,तो कोई क्या करे।।

कोई किसी का नहीं यहां पर पगले चाहे जितना कसो आलिंगन।
ठोकर लगती रहती हमको पर समझ ना आए, तो कोई क्या करे।।

पारे सा बहता जाता है भला रुका है कहां समय कभी।
व्यर्थ गवांते फिरते हैं फिर भी हम,तो कोई क्या करे।।

जब तक हाथों में बल रहता है हम पहाड़ को धूल चटाते।
उम्र से शिथिल गात देख हों पछताते,तो कोई क्या करे।।

धन-यौवन पर इतरा करके जाने कितने जनम गवांए।
बार-बार पर अहम को जिलाएं हम,तो कोई क्या करे।।

"तारकेश"प्रभु तुम उदार,करुणानिधान राह चेताते।
वज्र मूढ बन हम मखौल उड़ाते,तो कोई क्या करे।।

@नलिन #तारकेश

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