Sunday, 30 September 2018

जब भी झुका हूं तेरी चौखट

जब भी झुका हूं तेरी चौखट के आगे पूरी तरह से।
दिल की हर हसरत खिली मेरी बिना कहे पूरी तरह से।।

लोग उठाएं उंगलियां,झूठे इल्जाम थोपें अगर तुझ पर।
बेफिक्र बढ़ तू मगन हकीकी* के रास्ते पूरी तरह से।।*सच्चाई

होगा नहीं अगर सवाब*, प्यार , इकराम**, दूसरों के वास्ते। *नेकी,  **दया
आदमी कहां फिर तो कहेंगे जानवर उसे पूरी तरह से।।

बदल सकता है थोड़ी देर ही डर या प्यार
मिजाज तेरा।
यूं तो बदल सकता है तू खुद को जो चाहे पूरी तरह से।।

तू है मेरा,मैं हूं तेरा ये पढा-सुना तो बहुत बार है।
काश "उस्ताद" मान लूं दिल से मैं बात ये पूरी तरह से।।

@नलिन #उस्ताद

गजल-90 माना दिल से बहुत चाहते हो मुझे

माना दिल से बहुत चाहते हो मुझे।
कभी-कभी मगर ये जता भी दो मुझे।।

हर एक वक्त बस मतलब भरी बातें।
बिना मतलब भी कभी कुछ कहो मुझे।।

गिले-शिकवे तो लगे हैं रोजमर्रा में।
जरा खुद हंसो और थोड़ा हंसाओ मुझे।।

हकीकत की राहें पथरीली बड़ी हैं।
आओ नए से कुछ ख्वाब दिखाओमुझे।।

मैं कस्तूरी हूं रहती भीतर तेरे।
रोको ना यार बाहर आने दो मुझे।।

होश में कहां हूं जब से देखा है उसको।
कोई आकर जरा सा संभालो तो मुझे।।

नाम की चर्चा तेरी बहुत है "उस्ताद"।
बना शागिदॆ अपना गंडा बांधो मुझे।।

@नलिन  #उस्ताद

किसी को क्या पड़ी

किसी को क्या पड़ी सुने कहानी तेरी।
सब हो गए तंग देख-सुन नादानी तेरी।।

होगी  उठती मौज दिल-ए-सागर में।
है ये कशमकश उसकी नहीं तेरी।।

रास्ते तो मिलते हैं जाकर मुकाम सब एक ही।
जाने क्यों जेहन पल रही,सोच बौनी तेरी।।

आएगा क्यों कोई महफिल में बता तो।
जब जान रहे सब,रजा कतई नहीं तेरी।।

लाख अटकलबाजियां लगाते रहें जिस्मानी।
वो जानें कैसे उलफत है रूहानी तेरी।।

अलहदा है सोच ज़माने से कहीं आगे।
भला क्या दूं, हूं सोच रहा सानी तेरी।।

छू रही दुनिया आसमान की बुलंदियां।
"उस्ताद" छोड़ो भी ये अब मेरी-तेरी।।

BLOG: http://astrokavitarkeshblogspot.com

Thursday, 27 September 2018

गजल-242: कौन हबीब है

तेरे शहर का मिजाज बड़ा अजीब है।
ना जाने कौन दोस्त,कौन हबीब*है।।*मित्र

हमदर्दी जितना जता रहा जो शख्स।
रूलाने की वो ढूंढता नई तरकीब है।।

जो सोचता हर हाल में सबका नफा।
कहो नजरिया उसका कहाँ गरीब है।।

अमीर तो है उड़ा रहा मौज ही मौज।
बस जीना आम आदमी का सलीब*है।।*फांसी

भुलाना चाहूँ भी तो कहाँ भूला सकता उसे।
हर-घड़ी,हर-साँस वो रहा बहुत करीब है।।

फल,फूल उगेंगे कहाँ से जनाब जरा सोचिए तो।
रिश्तों के दरख्त का बना बोनसाई तहजीब है।।

यूँ तो कहता है हर कोई खुद को आदमी। सबका कहाँ"उस्ताद"मगर ऐसा नसीब है।।

@नलिन #उस्ताद

Wednesday, 26 September 2018

तूने अपना बना लिया

जज्बात के सुर्ख चटक रंगों से यार संग आशियाना बना लिया।
यकीन मुझ को कतई ना हो रहा अब तलक कि तूने अपना बना लिया।।

ये चांद,तारे,फूल,झरने कायनात के देखो सभी तो।
देख सच्चा प्यार हमारा सबने यहीं डेरा बना लिया।।

महावर लगे पांव जब घुंघरू संग छन-छन बज डोलते।
सारी दुनिया से अलग हमने एक जहान नया बना लिया।।

रूहानी नशा है सो अब खुद का भी होश कहां रहा।
यूं है ये उसकी इनायत जो मुझे अपना बना लिया।।

सुबह"भैरवी"तो दिन सजा"सारंग"से,शाम "यमन"फिर रात"ललित"राग हुए।
जिंदगी को अपनी"उस्ताद"हमने सुरों का नया घराना बना लिया।।

@नलिन #उस्ताद

Tuesday, 25 September 2018

241-गजल: गम वो ही मुझसे जाने क्यों छुपा रहा है।

दिल-ए-अजीज जो मुझको अपना बता रहा है।
गम वो ही मुझसे जाने क्यों छुपा रहा है।

माना कि हूं चारागर*नहीं दिल,दिमाग,जिस्म का।*डाक्टर
बेगाना बना पर वो दिल मेरा दुखा रहा है।।

वो बुरा नहीं पता है,जज्बात की कद्र उसे भी है।
दरअसल वक्त के हाथों वो भी एक खिलौना रहा है।।

यूं तो गम अपनी झोली में आदम ने खुद से हैं डाले।
हुए हालात जब बेकाबू वो दुनिया पर झल्ला रहा है।।

बनाया था"उस्ताद" उसने हमें रूहानी मकसद से।
देख मगर हरकतें हमारी खुदा का भी सर चकरा रहा है।।

@नलिन #उस्ताद

लुटिया डुबायी

ग्रामाफोन की सुई जैसी जुबान अटक जाती है उसकी।
बौड़म सोचता है काबिलीयत लाजवाब बड़ी है उसकी।।

रहने को घर मयस्सर नहीं कहां तो यहां आम आदमी को।
बंदीखाना भी हो पांच सितारा ये तलामली* है उसकी।।*लालसा

जूते की नोक पर रखते थे जो हुजूर नौकर- शाही को।
सिखा रही अब जनता सबक तो फजीहत हो रही है उसकी।।

बड़े-बड़े तुरॆमखां भी लगता है दिमाग से पैदल हो गए।
जानते-बूझते उन्हें चापलूसी ही सूझती है उसकी।।

झूठी शोहरत,माल-असबाब के लिए पगला रहा है आदमी।
हवस को भुनाने अजब कारगुजारी गुल खिला रही है उसकी।।

डॉक्टर,वकील,नेता सभी तो लगे हैं खून चूसने में।
लिखा शायद हाथों की लकीरों में खुदा ने ही है उसकी।।

रिश्ते-नातों का बना माखौल सा धज्जियां उड़ा रहा है।
"उस्ताद" ओछी हरकतों ने खुद लुटिया डुबायी है उसकी।।

@नलिन #उस्ताद

Friday, 21 September 2018

शिवेन सह मोदते

अद्भुत,अप्रतिम-अपार रूप शिवशंकर है तेरा।
सम्मुख खड़ा श्री चरणों के नत याचक मैं तेरा।।

शीश-जटा,निर्मल,पापमोचनी विराजती मां गंगा।
श्रीचरण प्रक्षालन सौभाग्य मानती अपना गंगा।।

त्रिनेत्र,सौम्य,मनोहर मुख"नलिन"छवि
दुःखहरता।
प्रभु तुम भक्तन के सदा सकल अमंगल 
क्षयकरता।।

हो तुम काल के महाकाल,थर-थर कांपे समस्त नरपाल।
देवों के तुम महादेव,पूजते यक्ष,देव,दनुज, दिगपाल।।

श्रीराम नाम सदा निरंतर जपते रहते मगन भाव।
दुःख-सुख,जन्म-मरण से परे सदा निर्विकार भाव।

हे"तारकेश"प्रभु  तुम तो अवढरदानी, अपरंपार।
भवसागर तारो हम जीवों को बन करनधार, अपार।।

@नलिन #तारकेश

Wednesday, 19 September 2018

गजल-61 कान में धीरे से हवा सुगबुगा रही है

कान में धीरे जो हवा सुगबुगा जा रही है।
ये लगता है जिंदगी कुछ करीब ला रही है।।

वो चिलमन कहां अब जिससे झांकते थे हुजूर।
देख हाल जनाब का खुद को शर्म आ रही है।।

बहुत मुद्दत हो गई उनसे मिले हुए हमें। अफसोस वो हमारी जान अटका रही है।।

मिलते हैं लोग मगर एक दूरी के साथ।
खुदा ये रस्म अजब निभाई जा रही है।।

जाने कैसे ये दरख्त लगा रहे हैं यार हम।
बागों में चहकने से चिड़ियाएं कतरा रही हैं।।

कुछ तो कहो"उस्ताद"बड़े पशोपेश हैं सब।
आंखिर जमाने की पतरी* क्या बता रही है।।
*जन्मपत्रिका

@नलिन #उस्ताद

Tuesday, 18 September 2018

नर से नारायण

             नर से नारायण
☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆

सांसे कर देती है गंध बांवरी जब वो सुर में बहती हैं।
लेकिन बोलो कितने दिन जीवन गति एक सरीखी रहती है।।

देह का होता है आकर्षण इसमें कोई संदेह नहीं है।
लेकिन ये पूरा हो सौ आने सच इसका भी आधार नहीं है।।

एक समय आता है जब अपनी ही सांसे बोझिल कर देती हैं।
भला कहो हमको तब यौवन की स्मृतियां सुख कहां देती हैं।।

धरा-भोग के पीछे मानव पुरुषार्थ तेरा ही रहता है।
कर्मयोग वो ही उचित पर जब वो निष्काम ही रहता है।।

धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष के पथ पर जब-जब मानव पग बढ़ता है।
पंचतत्व बनी देह में कद फिर नर से नारायण बढता है।।

@ नलिन #तारकेश

Monday, 17 September 2018

तो कोई क्या करे

               तो कोई क्या करे
ॐॐॐॐ卐卐卐卐卐卐ॐॐॐॐ

आस्था ही है हमारी बड़ी कमजोर,तो कोई क्या करे।
ईश तो हैं हर घड़ी पास ना दिखें,तो कोई क्या करे।।

कोई किसी का नहीं यहां पर पगले चाहे जितना कसो आलिंगन।
ठोकर लगती रहती हमको पर समझ ना आए, तो कोई क्या करे।।

पारे सा बहता जाता है भला रुका है कहां समय कभी।
व्यर्थ गवांते फिरते हैं फिर भी हम,तो कोई क्या करे।।

जब तक हाथों में बल रहता है हम पहाड़ को धूल चटाते।
उम्र से शिथिल गात देख हों पछताते,तो कोई क्या करे।।

धन-यौवन पर इतरा करके जाने कितने जनम गवांए।
बार-बार पर अहम को जिलाएं हम,तो कोई क्या करे।।

"तारकेश"प्रभु तुम उदार,करुणानिधान राह चेताते।
वज्र मूढ बन हम मखौल उड़ाते,तो कोई क्या करे।।

@नलिन #तारकेश

Sunday, 16 September 2018

श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन की बधाई

विश्वकर्मा जयन्ती के साथ विश्व के प्रथमपंक्ति मूधॆन्य भारतीय जननायक श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन की बधाई
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शतकोटि नमन बार-बार लाल-भारती जसोदा के मोदी जी।
बहुत मुबारक आपको नूतन वर्ष ये अपरंपार मोदी जी।।

लेकर आए नई सोच,नई डगर,नई उमंग तुम मोदी जी।
राष्ट्र निर्माण के पथ ले जाते हम सबको तुम मोदी जी।।

स्वच्छ मिशन की हो बात या चाहे फिर स्टाटॆ-अप की मोदी जी।
गांव-गांव तक पहुंचे लेकर मुहिम शौचालय की तुम मोदी जी।।

राष्ट्र बनेगा विश्वगुरु पुनः से इसमें अब संदेह नहीं मोदी जी।
कौशल विकास,मेक इन इंडिया से दिखता नया विकास मोदी जी।।

देदिप्यमान ऊर्जा से भरपूर "विश्वकर्मा"से तुम मोदी जी।
नवनिर्माण अखंड भारत का नेतृत्व सुरक्षित आपमें मोदी जी।।

यही मना रहे भारतवासी,जीवेत शरदाम् शतम् हों मोदी जी।
सप्ताकाश बुलन्दी गूंजे भारत मां की नमो-नमो हे मोदी जी।।

@नलिन #तारकेश

Friday, 14 September 2018

संगदिली जो उसकी

उसकी जुल्फ के घोंसले में बस गया दिल। प्यार के गगन उड़,कुलांचे भर रहा दिल।।

हर कदम चूमेगी मंजिल इसमें शक नहीं।
बस जो करें हो उसमें धड़कता अपना दिल।।

आंखों में उसकी महक जब गीत गाने लगी।हो गया मीठा सागर सा,खारा मेरा दिल।।

हर दिन दिखाए दर्पण किस किस के चेहरे मुझे।
लगता है उम्र के साथ-साथ है सठिया गया दिल।।

संगदिली जो उसकी स्याही ने उड़ेली कागज। "उस्ताद"लिखते-लिखते ग़ज़ल गमगीन हो गया दिल।।

@नलिन #उस्ताद

Thursday, 13 September 2018

गरल - पान कर भी जीना है हमको

गरल - पान कर भी जीना है हमको।
सुधा - पान कर भी मरना है हमको।।

जीवन सूत्र सत्य जब अंतिम करतलगत है। फिर कैसा भय और कैसी शंका है हमको।।

सांस-सांस आए चाहे विषम घड़ी जितनी। आस-आस को नित सुलगाना है हमको।।

आओ करें मनसे दो-दो हाथ आपाधापी से। जीवन फिर भला कहो कहां मिलना है हमको।।

मस्त रहो नित अधरों पर खिलता रहे
"नलिन"।
जब तक हरि की छांह तले रहना है हमको।।

@नलिन #तारकेश

जय गजवदन जयति जय है गजानन।

जय गजवदन जयति जय है गजानन।
रूप तेरा अति सबको  मनभावन।।

शिव गौरा सुत जग के दुःख भंजन।
प्रथम पूज्य करते हम पूजन।।

कष्ट,दुख,पीड़ा,क्षोभ नशावन।
मंगलमूरति तेरा आराधन।।

गणनाथ तेरा नित मंगल गान।
दिलवाता हमको अतुलित मान।।

गुस्ताखी कभी ना हो तेरी शान।
इतना तू हमें दे देना  वरदान।।

नटखट,प्यारा तू भगवान।
मूषक वाहन कृपानिधान।।

मोदक भरे,उदर संपन्न।
करता सबका मन प्रसन्न।।

@नलिन #तारकेश

Wednesday, 12 September 2018

दिल की बात

दिल की बात सुनने में तो अच्छी है हुजूर। गुजरगाह* मगर इसकी कठिन बड़ी है हुजूर।।*राह

दूसरों की नुकताचीनी बहुत हो गई।
निगाह अपनी पढ़ना जरूरी है हुजूर।।

वो आए कब और कब आशियां बना लिया। दिल-ए-कमबख्त की खबर हमें नहीं है हुजूर।।

पीले पत्ते की मानिंद झड़ ही जाना है डाल से।
जरा सोचिए कहा ये  शानोशौकत रहनी है हुजूर।।

आंखों में रात काजल लगा चहकते हो भला क्यों।
जानते-बूझते शहर का मिजाज कुछ ठीक नहीं है हुजूर।।

लेने को बलैया बेचैन हैं "उस्ताद "सब।
क्या  गजब की उस्तादी आपकी है हुजूर।।

@नलिन #उस्ताद

Tuesday, 11 September 2018

निश्छल हंसी

निश्छल हंसी जो दिखती है जहां भी कहीं।
हिमशिखर से बहती लगे गंगा भी वहीं।।

आंखों में प्यार का सागर उमड़े जहां।
सारी दुनिया की दौलत है समझो वहीं।।

बिठा कंधे पर अपने से भी ऊंचा कर दे।
मां-बाप-गुरु तो हमारे हैं बस सच्चे वही।।

दिल से मिलाकर दिल जो सबसे बात कर ले। अमीरी तो उस से बढ़के कुछ होती नहीं।।

सत्कार मिले या लाख बेइज्जती कहीं भी।
जो हजम कर जाए समझना फकीरी है वही।।

विषाद,दु:ख की अथाह काली झील में। खिलखिलाता दिखे तो होगा"नलिन"वही।।

@नलिन #तारकेश

Monday, 10 September 2018

खुद पर ही अख्तियार अपना▪▪▪नहीं

खुद पर ही अख्तियार अपना अब जब रहा नहीं मेरे पास।
कैसे कहूं उससे जो बैठता नहीं दो घड़ी मेरे पास।।

बहुत कुछ ले गया वक्त मुझसे बिना पूछे जनाब।
गनीमत है यादों की बारात रही मेरे पास।।

जो पहुंच ही ना सके कभी जिसके लिए थे चुने दिल से।
हैं रूठे हफॆ,कुछ रूखे फूल आज भी मेरे पास।।

ख्वाबों के जगमगाते दीप रखता हूं रौशन हर हाल में।
मलाल,गम,तन्हाई तभी तो आते नहीं कभी मेरे पास।।

जो है अगर वो कहीं का सुल्तान,नामदार तो हुआ करे। 
आता है उठने को गतॆ से हर"उस्ताद"भी मेरे पास।।

@नलिन #उस्ताद

Saturday, 8 September 2018

दिल

                     दिल
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बेवजह किसी से ना दिल लगाया कीजिए।
हां लगाएं अगर तो उसे निभाया कीजिए।।

यूॅ तो दिल लगाना,तोड़ना भी कहाॅ बस में है। पुचकार कर मगर उसे हुजूर समझाया कीजिए ।।

बिल्कुल नन्हें बच्चे सा मचलने लगता है ये दिल।
चुपचाप थोड़ी देर मगर आप तसल्ली किया कीजिए।।

चुपचाप टूट कर जो बिखर जाता है दिल शीशे सा।
खूं तो रहेगा ही मगर दिखे ना दिखे क्या कीजिए।।

शोख रंगों से हो दिल में ऐसी गजब की कशीदाकारी।
हर दिले जज्बात की निगाहों को खूब छकाया कीजिए।।

खुदा की है क्या खूब इनायत ये दिल हमारा।
"उस्ताद"धड़कनों पर इसकी गुनगुनाया कीजिए।।

@उस्ताद #नलिन

Thursday, 6 September 2018

श्याम तुम मुरली बना मुझे अधर से लगा लो

श्याम तुम मुरली बना मुझे अधर से लगा लो।पोर-पोर मेरे सुर प्रीत का गहरे बजा दो।।

जीवन की नैय्या मंझधार में फंसी है ।
कैसे ना कैसे इसे तुम पार लगा दो।।

थक गई अपने ही भार से चलते-चलते।
मुझे हे प्राणनाथ अब तो गले लगा लो।।

गीता का ज्ञान कहां मुझ मूढ समझ में आए।  मुझे तो बस गीत अपना प्यारा सुना दो।।

ठगते बड़ा हो दिखाकर विशाल रूप मोहन।
सांवल-सलोना बस रूप तुम मुझको दिखा दो।।

@नलिन #तारकेश

Wednesday, 5 September 2018

लौ लगी जब कृष्ण से

लौ लगी जब कृष्ण से प्रीत की जग से अब कैसे निभे।
प्रति सांस अब तो हर घड़ी कृष्ण बिन शूल सी मुझे चुभे।।

कृष्ण रस में हो बांवला मैं नाचता फिर रहा। वो बड़ा नटखट मगर इम्तहान मेरा ले रहा।।

प्रतिबिम्ब जब भी कभी स्वयं का दर्पण में हूं निहारता।
देख कभी रूप राधा तो कभी मीरा का हूं अचकचाता।।

देह का भान कहां है अलग ही अगन भीतर लग रही।
वो मिले तो अंग-लगूं बस मुझे ये ही लगन हो रही।।

रूप उसका मृदुल"नलिन"सा झील सी आंख मेरी बसा।
वो करता अठखेलियां नित नई दिल मेरा अब उसमें बसा।।

@नलिन #तारकेश

Tuesday, 4 September 2018

जन्नत की हकीकत से वाबस्ता* रहा हूं

जन्नत की हकीकत से वाबस्ता* रहा हूं।
इंद्र दरबार से तभी तो बचता रहा हूं।।
*जुड़ाव रखना

रूहानी शायरी के अदीब* ना जाने कहां गए। उनकी ही विरासत बमुश्किल गुनगुनाता रहा हूं।। *साहित्यकार

सलीका आ जाए किसी तरह जीने का जिंदगी।
राखी चिता की अपने माथे लगाता रहा हूं।।

हर तरफ शोर बरपा है तन्हाईयों का मेरी। बदौलत उसी के हर दिन नया कुछ लिखता रहा हूं।।

बहुत कुछ गीली लकड़ी सा दिल में जलता रहा।
धुंए से जज्बात अक्सर तभी उगलता रहा हूं।।

दर्द-ए-सैलाब से लोगों को बचाने के वास्ते। जख्म पर ग़ज़ल मरहम सी"उस्ताद"लगाता रहा हूं।।

@नलिन #उस्ताद