Tuesday, 25 November 2014

271-घुंघरू बोले 







ता थेई थेई तत,ता थेई थेई तत घुंघरू बोले
नाच रही कमनीय,सुर ताल लयबद्ध सरिता।

पवन हो गयी मदहोश,सुझा कुछ न
उच्छवास ले भारी,झूमे ऐसी वनिता।

गगन, वसुंधरा मगन तब तो एक हो गए
चक्कर पर चक्कर, थिरका अंग ललिता।

भाव रसीला,सूक्ष्म नयन को लगता प्यारा
तीव्र-मंद,नख-शिख संचालन सबको भाता।

नृत्य-सम्राज्ञी,अप्रतिम सितारा देवी का
कला-जगत नत हो अभिनन्दन करता। 

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