Tuesday, 25 November 2014

271-घुंघरू बोले 







ता थेई थेई तत,ता थेई थेई तत घुंघरू बोले
नाच रही कमनीय,सुर ताल लयबद्ध सरिता।

पवन हो गयी मदहोश,सुझा कुछ न
उच्छवास ले भारी,झूमे ऐसी वनिता।

गगन, वसुंधरा मगन तब तो एक हो गए
चक्कर पर चक्कर, थिरका अंग ललिता।

भाव रसीला,सूक्ष्म नयन को लगता प्यारा
तीव्र-मंद,नख-शिख संचालन सबको भाता।

नृत्य-सम्राज्ञी,अप्रतिम सितारा देवी का
कला-जगत नत हो अभिनन्दन करता। 

Monday, 24 November 2014

270 - जयति जय-जय अग्रणीय श्री रामदूत अनिलात्मज






जयति जय-जय अग्रणीय,श्री रामदूत अनिलात्मज
वंदन तुम्हें शतकोटि करें हम,भक्तवृंद हे पवनात्मज।

रक्ताभ देह,सुघठित अतुल,वीर,प्रचंड तुम  बलशाली
भय प्रकम्पित,दुष्ट दैत्य सभी देख तुम्हें बजरंगबली।

अनन्य सेवक तुम तो सिय रामचन्द्र के,भूतो न भविष्यति
कृपा जिस पर करते,निर्विवाद मिलती उसको रामशरण गति।

अणिमा-गरिमा अष्टसिद्धि,नवनिधि न्योछावर तुम पर जाती
रामचरण रति पर छोड़ तुम्हें कहाँ है ऋद्धि-सिद्धि कुछ भाति।

केसरीनंदन चिरजीवी तुम,अर्जुन रथ ध्वजा सभाल, लाज बचायी
वैसे ही इस महासमर में मेरी रक्षा की जिम्मेंदारी,तुम पर आयी। 

Sunday, 23 November 2014

269 -जय जय शिवशंकर






जय जय शिवशंकर ,जय  नीलकंठेश्वर
तुम आदि देव ,तुम देवों के भी देव हो।

सब जन की बस एक पुकार पर तुम
कष्ट उबारते,बन भयंकर काल हो।

कर्पूर गौरं रूप तुम्हारा,हम सबको भाता
निश्छल ,पारदर्शी तुम तो पूरे भोले हो।

भुवनेश्वरी जगत की माता वाम विराजे
तुम स्वयं जगदीश्वर,जगतपिता हो।

भूत,पिशाच,नर,नाग,सकल देव ,सिद्ध सब
नित रटते नाम तुम्हारा,सबके तुम प्रिय हो।

काशी में इष्ट देव के नाम से सबको तारो
भवसागर के तुम "तारकेश्वर",प्रसिद्ध हो।

Friday, 21 November 2014

ASTROLOGY AND MATCHING OF CHART

Astrology is a science though its lab is quiet different from the science lab.Today I want to share my thoughts regarding matching of charts for marriage purpose.Some people say that Astrology  is useless and so matching should not be considered seriously.Let them say what they say here I want to put some points for people who believe in this science but anyhow not very familiar with the  basics of matching or they are some what confused.If we are going to consult an astrologer for this purpose we should  take in to consideration some following points:



1. You should consult a learned Astrologer.
2. You should have the correct birth details of the boy and girl. Birth details  are Date of birth,Time of birth & Place of birth.
3. If any one Birth Details are not available don't match it taking one's famous (prachalit naam) with others rashi naam or moon sign name or birth chart/kundli  for match.Same is the case with Numerology .Don't consider doubtful date of birth and don't mingle two ways of matching with other.
4.Don't take very seriously the no.of points in matching table because mostly they are just showing the nature and adjustment behavior between the two.
5 Consider Naadi Dosh,Yoni Dosh,Gana Dosh and Moon Position in both chart seriously.In this Naadi Dosh is main. There are some valuable points for cancellation of these kind of Dosh and so ask your Astrologer to consider them also.Moon mutual position with 2-12, 6-8 and 5-9 position is not good for Debts and sorrows/ accidents,Health related problems and for Issue/ childern respectively.

6. Mars Dosh or Mangalik Dosh is also Important but don't get afraid of it because you see  there are 12 houses in a horoscope  and 1,4,7,8,12 are the the five(5) houses where if mars is placed it is said that horoscope is Mangali. In South they consider 2nd house also which means (total 6 houses out of 12) 50 % of the kundlis are with Manglik Dosh.So its doesn't make any sense that all the Mangalik's are bound to face problems in married life.So I would suggest that first try to understand with your Astrologer that particular placement of Mars in the chart of Boy or Girl is Harmful or not and then ask him to judge whether this Harmful position can be overlooked or not .Either through same kind of Mars in other person  chart or through cancellation of Mars in his/her chart because of his/her own planetary combination.7th and 8th house Mars is more bad.You have to see that Sun,Rahu, Mars,Saturn are also the malefic planets hence if they are affecting by their worst placement then they are also considered bad.Mainly if they jointly affect the 7th house and 7th lord.Even Jupiter can be worst for Tauras and Capricorn (ascendant) people.Bhav Kundli examination can also help you lot and it will not only clear the inner strength of chart but you can know the right position /placement of planets.This will be useful in Mars actual position.You can also go through Navamansa chart .All this points are very important in matching.

7.In love Marriage don't try to match and satisfy yourself .Our Astrology Science don't permit us to do so.

8. As said in Point 4 inspite of bothering for matching no. we should cross check each planets in charts that whether they have good mutual relation for  both or not

9.Try to find out astrologically what are the priorities of both.

10.Go through the Dashas  and results and see what will be the impact for both of them.Consider also the longevity in both of the charts.

11.One can also consider whether match is affecting  Father& Mother in Law,elder& younger brothers/sisters or not.Means over all family affairs.

12.Ask your Astrologer for any kind of rituals to be done for the betterment of the couple.

13.Give proper regard to to your Astrologer and after finally fixing marriage with the help of your Astrologer at least  first give him this news .

14. One should never try to cheat by providing wrong Birth-Details.By mutual understanding to change the name of Girl officially is one option.

15. It will be far better if parents choose 5-7 charts best according to them and then ask Astrologer to give them the ranking astrologically.Hope this will Help.











Wednesday, 19 November 2014

262- साईं तुम्हारी लीला

साईं तुम्हारी लीला के आगे मैं नतमस्तक भरपूर हूँ
भेदभाव से मुक्त कृपा पर तेरी मैं तो भावविभोर हूँ।

यूँ तो पत्ता पत्ता भी इस गुलशन का तेरा ही एक रूप है
फिर भला मुझे क्यों लगता जीव ये तुझसे कुछ दूर है।

जब तक तू खुद ही अपना रूप मुझे न समझायेगा
मेरी नन्ही अल्प बुद्धि में कहाँ समझ ये आएगा।

बार-बार सो विनती करता अपना दुखड़ा हूँ रोता रहता
एक बार बस बना के अपना झंझट सदा ख़तम कर देता। 

Tuesday, 18 November 2014

261- जब भी  लिया नाम तुम्हारा

जब भी  लिया नाम तुम्हारा, मुश्किलों से हुआ किनारा
हर शख्स की जुबान पर ,गुलज़ार हुआ नाम हमारा।
दिन को रात रात को दिन ,जैसा चाहा वक्त बनाया।
तेरी चौखट में रगड़ के माथा, हमने खूब नाम कमाया।
मेरी खातिर तूने जाने ,समय-समय पर वेष बनाया।
ज़र्रा-ज़र्रा महक रहा है ,जब से तूने गले लगाया। 

Monday, 17 November 2014

260 - जय-जय माँ "सिद्धि"भवानी





जय-जय माँ "सिद्धि"भवानी,रखना लाज हमारी
तेरे "नलिन" चरण में जाते, हम सब हैं बलिहारी।

ऊँचे उत्तंग शिखरों पर,शिव "बाबा" संग है रहती
शिशु की एक पुकार पर,झट सुध लेने आ जाती।

पुत्र- कुपुत्र हो तब भी तो, अपने हाथ खिलाती
कितने नानाविध व्यंजन से,फौरन थाल सजाती।

कहीं आँख पड़े धूल कण ही,व्याकुल तो भी तू हो जाती
आँचल से अपने फूँक-फूँक कर, पीड़ा दूर शीघ्र भगाती।

लेकिन इसके बाद भी तेरी, कहाँ हमें है सुध आती
सुख में नित भूले तुझको,बस दुःख में याद तू आती।


Sunday, 16 November 2014

259 - हर रूप में


















प्रथम पूज्य आदि देव श्री गणेश,तुम ही तो हो
भोले-शंकर औढरदानी मेरे बाबा,तुम ही तो हो।

हर रूप में भाव-युक्त हो दिखने वाले,तुम ही तो हो
सदा भक्तों के उर बसने वाले भगवान,तुम ही तो हो।

कभी निश्छल बच्चों से भोले -प्यारे,तुम ही तो हो
कभी रूद्र भयंकर,कालों के काल,तुम ही तो हो।

एक पुकार पर कष्ट मिटाने को आतुर,तुम ही तो हो
झूठा कर खुद को,भक्तों का मान बढ़ाते,तुम ही तो हो।

भृगु के चरण छाप उर में धारे फिरते,तुम ही तो हो
कनक भूधराकार बजरंगी मेरे बाबा,तुम ही तो हो।

Friday, 14 November 2014

258 - राम मैं तो हूँ मूढ़ता की खान

राम मैं तो हूँ मूढ़ता की खान।
तेरी कीर्ति का कैसे करूँ बखान।।

कहीं अंजलि में आएगा समुन्द्र।
वो होगा अगर तो होगा बस एक बूँद।।

पर तुझे कहाँ भला है इससे वास्ता।
तू तो है बस ताकता, बालक का रास्ता।।

वो फिर पुकारे चाहे तोतली जुबान में।
सुनता है तू मगर प्यार भरे अंदाज़ में।।

तेरी यही अदा तो है मुझे भाती।
निसंकोच तभी तुझसे है मेरी विनती।।

From my book SAI KRIPA YACHANA

Thursday, 13 November 2014

257 - युगदृष्टा,युगसृष्टा,हे राष्ट्र पुरुष हमारे

युगदृष्टा,युगसृष्टा,हे राष्ट्र पुरुष हमारे। 

अर्पित तुम्हें सुमन श्रद्धा के,करें विश्व-जन सारे।।

      स्फटिक कांति लिए भाल में 
      धूमकेतु बन जग में चमके। 
      लाल जवाहर भारत माँ के 
     तुम सबकी आँखों के तारे। 

युगदृष्टा,युगसृष्टा,हे राष्ट्र पुरुष हमारे....... 


वराह अवतार तुल्य हो तुमने 
केवल रखकर तीन पगों में। 
धर्मनिरपेक्षता,समाजवाद व लोकतंत्र से 
त्रिलोकों के छोर  मिलाये। 

युगदृष्टा,युगसृष्टा,हे राष्ट्र पुरुष हमारे....... 


पंच इन्द्रियों की ज्या खींच के 
पंचशील के बाण चलाये। 
दुर्जेय,दुष्ट महाशक्ति से ऐसे 
मानवता के प्राण बचाये। 

युगदृष्टा,युगसृष्टा,हे राष्ट्र पुरुष हमारे....... 


एकता,अखंडता की जवाहर-ज्योति बने 
सदा रहे हो सन्मार्ग दिखाते। 
पग पर पग रखकर ही तुम्हारे 
साकार हुये सब स्वप्न हमारे।  

युगदृष्टा,युगसृष्टा,हे राष्ट्र पुरुष हमारे....... 

नेहरू तो तुम क्या दिव्य पुरुष थे 
नहीं-नहीं तुम तो तो केवल थे। 
कर्म यज्ञ के ऐसे साधक विरले 
ऊर्जा पर जिसकी सहस्त्र सूर्य भी फीके। 

युगदृष्टा,युगसृष्टा,हे राष्ट्र पुरुष हमारे। 

                                  अर्पित तुम्हें सुमन श्रद्धा के,करें विश्व-जन सारे।।


Wednesday, 12 November 2014

256 - तुलसी महिमा






तुलसी महिमा अदभुत अति कहाँ बखानी जाए
जिस घर तुलसीजी विराजें राम दूत आ जाए।

प्रतिदिन हरि शीश तुलसीजी जो चढ़ाई जाए
विष्णु भक्ति प्रसाद स्वरुप वो सब कुछ पा जाए।

तुलसीजी के जल से जो हरि चरण पखारे जाएं
पंचामृत बन कर वो अपने सकल पाप-ताप मिटाएं।

जीवित रोज जो खाए इसको प्राण शक्ति बढ़ जाए
मुर्दे के मुंह रखने से तुलसी-दल परलोक बनाए।


Tuesday, 11 November 2014

255 - साईं केवल तू ही एक सच्चा 

साईं केवल तू ही एक सच्चा
बाकि जग तो  देता है गच्चा।

मेरे जीवन का एक सपना
 मैं बन जाऊँ तेरा अपना।

जब -जब तेरा नाम हूँ लेता
दुःख, पीड़ा का नाम न रहता।

लेकिन जाने क्या  है होता
नाम तेरा मैं ले न पाता।

सुख तेरी शरणागति  में मिलता
पर माया सुख में रहा भटकता।

तूने मुझे कितनी बार उबारा
लेकिन मैंने तुझे सदा बिसारा।




Monday, 10 November 2014

254 - रूह के श्रृंगार की बात

मौसम तो बदलते जाएंगे साल दर साल यूहीं
दिलों में बहार के अब तराने ज़रा छेड़िये।

मंजिलें दूर हैं भटक रहे हैं लोग सभी
स्नेह,भाव,विश्वास से फ़ासलों को पाटिए।

रंग व्यक्तित्व के सभी अलग पर हैं बेशकीमती
इन्द्रधनुष बना इन्हें साथ-साथ जोड़िये।

जोश,जज़्बा हो अगर तो बदल सकती है तकदीर भी
चुनौतियों के जाल को बस जरा तदबीर से खोलिए।

जुल्फ के श्रृंगार की बात तो बहुत हो गयी
रूह के श्रृंगार की बात भी अब जरा कीजिये। 

Sunday, 9 November 2014

253 - तू राम-राम रट 

भीतर बाहर मन के कोने-कोने
उज्जवल, तू राम-राम रट।  शुद्ध निर्मलता पाने
राम-राम रट रसना, तू राम-राम रट।

राम रतन को जिह्वा में धर कर
आलोकित  कर ले सारा संसार
राम-राम.. . .

दिव्य चेतना आधार बना कर
तन मन प्रभु को अर्पित कर
राम-राम   .......

सूर, चैतन्य, मीरा, तुलसी ने खुद को एकचित्त कर
नित ध्याया हरी को जैसे, तू भी ध्यान लगाया कर
राम-राम   ……। 

Friday, 7 November 2014

252 -निज बुधिबल भरोस मोहि नाहीं

निज बुधिबल भरोस मोहि नाहीं , ताते विनय करउ सब पाहीं। १/८

यद्यपि हूँ मैं पातकी तो भी छल प्रपंच से
हाथ जोड़ हूँ खड़ा मुक्त होने के लिए।


पूरी कायनात  से विनम्र हो सद्भाव  से
करता हूँ मैं प्रार्थना स्नेह प्यार के लिए।

दुआ करें ये सभी मेरी खातिर रब से
लायक बना ले वो मुझे अपना होने के लिए।

वरना  तो कहाँ बच पाउँगा इन हालात से
सो करना मदद सभी मेरे जीवन के लिए।

खुद पर यकीं नहीं मुझे एक  बार से
अनुनय तभी तो है आपसे अपने लिए।


Thursday, 6 November 2014

251 - गुरुवर तेरे 'नलिन' चरण

गुरुवर तेरे 'नलिन' चरण, मुझको सदा लुभाते।
जैसे मधु पाने की खातिर भौंरे, पुष्प-पुष्प मंडराते।

गुरु रज पाना बड़ा कठिन है, माया जग में चलते।
लेकिन कृपा यदि हो जाए, पूरे सपने होते।

तुझको पाने की चाहत, यदि हो गहरी हममें।
हर मुश्किल मिट जायेगी, दर्शन होंगे पल में।

रोम-रोम पुलकेगा तेरा, फिर तो उसके आने से।
एक बार बुला के देख,'नलिन' उसे तू भाव से।

Tuesday, 4 November 2014

250 - साईं कृपा से मेरी जिंदगी 








साईं कृपा से मेरी जिंदगी
बेखौफ, मस्त हो चल रही।

हर दिन, हर तरफ से जैसे
खुशियों की बरसात हो रही।

उम्मीद थी किसे अंधेरों में घिरे
नूरे जिन्दगी जो अब आम हो रही।

यूं ही चलता रहेगा ये सिलसिला
नज़रें इनायत तेरी जो हो रही। 

Sunday, 2 November 2014

249 - साईं तेरे रंग

साईं तेरे सब रंग हैं कितने अलहदा
पर सभी में कृपा का रंग मिला हुआ।

जिधर भी देखें हर तरफ तू है  खड़ा हुआ
हर रूप,हर शै पर है जलवा खिला हुआ।

तेरी मर्ज़ी से ये सारी कायनात चल रही
मैं तो बस यहाँ पर एक छुद्र कण हुआ।

रौशन हों सबके घर श्रद्धा - विश्वाश से
प्यार का मसीहा तू जग विख्यात हुआ।

दोस्ती,मोहब्बत सिखाने सभी को
साईं रूप में तू धरा अवतरित हुआ।