Wednesday, 15 October 2014

243 -  गुरुदेव श्री नख चरण तुम्हारे 

गुरुदेव श्री नख चरण तुम्हारे
कर देते निर्मल नयन हमारे।

तभी शीश धर चरण तुम्हारे
हम आते हैं हाथ पसारे।

पड़ी बिवाई पाँव तुम्हारे
दौड़-दौड़ जो भाग संवारे।

हम भी जाने निष्ठुर कितने
हर छन तुम्हें आवाज लगाते।

पर बजरंगी भोले मेरे
तुम भी कब हार हो माने।

सारे दुष्कर्म भुला हमारे
आ जाते हो हमें बचाने। 

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