Sunday, 12 October 2014

240 - शालीनता (लघुकथा)




बन्धुजी (फल वाले से): ये केले कैसे दे रहे हो ?
फल वाला (भवें सिकोड़ता हुआ): 50  रुपए दर्जन,अभी बताया तो। 
बन्धुजी (अनुनय सा करते हुए ):अरे हमको नहीं किसी और को बताया होगा,भैय्या। 
फल वाला (सहजता से ):ठीक है कितना दे दें ?
बन्धुजी :30 लगाओ तो दे दो दर्जन भर। 
फल वाला (शालीनता से):सुनो,ऐसा है ये कश्मीरी डेलेसियस सेब केले से ज्यादा सेहतमंद होंगे तुम्हारे लिए। कहो तो 20 रुपये के किलो भर न पकड़ा दूँ तुम्हे ?

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