Sunday, 23 March 2014

पुनर्जीवन

अगर तुमने आत्मा का,मानव की आत्मा का
अंतिम संस्कार नहीं किया है और पश्चाताप 
चेतना को शून्य कर तुम्हे जड़ करता है
तो आओ मेरे पास मैं तुम्हारे कान में
मन्त्र फूकुंगा कालजयी मंत्र।
जिसको सिद्ध करके क्रूस पर  चढ़ी
मानव की आत्मा का जो जहरीले बमों की
जंग लगी कीलों से कीलकित है
जिसके पौरुष का स्तम्भन किया गया है
और जिसको तुम्हारे हिरोशिमा , नागासाकी के
विद्युत् झटकों ने अतीत की सुनहरी
गौरवशाली स्मृतियों को विस्मृत करने पर
विवश कर दिया है।पुनः से कायाकल्प होगा।
लेकिन जरा ठहरो क्या तुम उद्यत हो
साधना के ताप से स्वयं को कुंदन कर
संयम के बाणों पर अविचल लेट कर
अदम्य इच्छा शक्ति से सर्व मंगल मांगल्ये के
मंत्रोचारण भरे शंखनाद से
धरती के कण कण को जाग्रत कर देने को
जिससे जड़-चेतन सबमें,नव जागरण का शंख बजे
तो इतना समझ लो कि निश्चित ही तुम्हे
अर्जुन भी मिलेगा।वहीं पर, साधना  में
धरा को फ़ोड़ कर शीतल,निर्मल, दिव्य
जलधार की बौछार से मानव की आत्मा को
पुनर्जीवन देने।नवीन अमूल्य जीवन देने।@नलिन

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