Tuesday, 25 March 2014

राम तुम्हारे  नाम का 

राम तुम्हारे नाम का, मैं तो हूँ पुजारी
यह कहने से यश, धन मिलता है भारी।
सो बस इसीलिए, आया शरण तिहारी
वर्ना तो तुम जानते ही हो करतूत सारी।
हर  क्षण काम, क्रोध की करता हूँ सवारी
निन्दा ,उपहास मुझको लगती है प्यारी।
पर फिर भी तुम्हारे नाम की महिमा भारी
देखो  संत मानती , मुझको दुनिया सारी।
इस पर निर्लज्ज्ता कैसी गजब की मेरी
 छाप, तिलक लगा करता हूँ व्याभिचारी।



1 comment:

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete