Thursday, 12 August 2021

377:गजल- याद तुम्हारी

ये बदली उदासी की छा रही जेहन में।
याद तुम्हारी हमें जो आ गयी जेहन में।।

देखना अब फिर बरसात होगी जेहन में।
हिचकोले खाएगी कश्ती हमारी जेहन में।।

फासलों से फर्क वैसे पड़ता नहीं है कुछ भी।
बात हमने समझायी खुद को यही जेहन में।।

आँखों से बरसे मोती तो,हार हम पिरोते रहे।
देखो न बन जाए शायद माला कहीं जेहन में।।

दरिया का पानी तो वो बह गया बहुत अरसा हुआ।
कब तक जन्मों पुरानी कहानी दोहरायेगी जेहन में।। 

"उस्ताद" खारा समंदर ये फैला है दूर तलक देखो।
लहरें आकर अक्सर भिगो हमें हैं जाती जेहन में।।

@नलिनतारकेश

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