Wednesday, 11 August 2021

376:गजल- इनायते नजर किया कीजिए

बेवजह की है कवायद पर किया कीजिए।
प्यार हो ना हो इजहार मगर किया कीजिए।।
 
चांद छूने में जमीं छूट जाती है अक्सर पाँव से। 
मगर हर हाल जतन में न कसर किया कीजिए।।

गमों का सैलाब हदें तोड़ आता दिखे तो भी। 
धार दे अपने हौंसले बेहतर किया कीजिए।।

यूँ ही तंग हो रहे हैं जिंदगी के रास्ते आजकल।
है कहाँ?किस हाल?खबर ये तो किया कीजिए।।

तल्खियां,तोहमतें बेवजह की चिपट जाती हैं गले से।
कुछ वक्त मगर ऐसे हालात भी गुजर किया कीजिए।।

काबिल तो नहीं आपके पाक दामन सजदे को नाचीज ये।
कुछ  तो "उस्ताद" मगर इनायते नजर किया कीजिए।।

@नलिनतारकेश 

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