Wednesday, 4 August 2021

373:गजल- खिरामां खिरामां

चल रही अपनी जिंदगी खिरामां खिरामां*। *मस्ती भरी चाल
मंजिल भी मिलेगी कभी खिरामां-खिरामां।।

मौसम हुआ आज देखो कितना सुहाना।
हवा भी है मस्त बहती खिरामां-खिरामां।। 

इश्के बीमारी अभी तो जुम्मे-जुम्मे लगी है।
बढ़ेगी अभी और हमारी खिरामां- खिरामां।। 

बरसने लगे हैं आज उमड़कर सावन के बदरा।
लगा काजल जब वो निकली खिरामां-खिरामां।।

हुई मुलाकात फकत "उस्ताद"दो-चार बार ही।
चढ़ेगा रंग प्यार का इंद्रधनुषी खिरामां-खिरामां।।


@नलिनतारकेश

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