Sunday, 28 October 2018

राधा

भक्ति की धारा - राधा
☆☆☆☆☆☆☆☆☆

बड़ी प्यारी,मासूम,भोली है राधा।
कृष्ण प्रेम में बांवली है राधा।
तन-मन की सुध भूली है राधा।
हर घड़ी झूमती-नाचती है राधा।
कृष्ण-कृष्ण बस लौ लगी है राधा।
नाम बार-बार यही रटती है राधा।
यूं तो नहीं कहीं जाती है राधा।
यार को पास बुलाती है राधा।
बताओ वैसे कहां नहीं दिखती है राधा।
कण-कण तो अपनी बसी है राधा।
सांस-सांस जैसी भक्ति करती है राधा।
धड़कन कृष्ण की भी कहती है राधा।
भाग्यशाली सच में बड़ी है राधा।
त्रिलोकी को भी खूब नचाती है राधा।
कहते उसे तभी तो सभी हैं राधा।
कृष्ण से जो हमें मिलाती है राधा। 
धारा दरअसल भक्ति की है राधा।
प्यार,निष्ठा,समर्पण तो सभी है राधा।।

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