Thursday, 5 October 2017

पंचतत्वी देह में अद्भुत संघात हुआ

पंचतत्वी देह में अद्भुत संघात हुआ।
घटाटोप माया का पूणॆ ही विनाश हुआ।।
मन-प्राण समिधा में बुद्धि का भी लोप हुआ।
ज्ञान भस्मीभूत हुआ ऐसा चमत्कार हुआ।।
मूल के आधार में शक्ति स्रोत जाग उठा।
तन्द्रा का नाश हुआ तेज का प्रवाह उठा।।
साधना और साधना में ओंकार का ध्यान हुआ।
स्थूल निरविकार हुआ सूक्ष्म का विस्तार हुआ।।
आज से ही जीवन में नया एक अध्याय हुआ।
चित्त भी शांत हुआ और जन्म ये सुकाथॆ हुआ।।
मेरु के सरोवर में अप्रतिम नील हंस आ गया।
डमरू आप अलाप उठा रोम-रोम खिल गया।।
त्रिनाड़ी लोक में शिवोहम् का जाप हुआ।
काया को विराम मिला आत्मा का मोक्ष हुआ।।
ब्रह्म के रन्ध्र में "नलिन"प्रस्फुटित हुआ।
नाद का निनाद हुआ ब्रह्म-साक्षात हुआ।।


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