Friday, 27 October 2017

गजल-95 बहुत दूर "उस्ताद"खोजने की है क्या जरुरत कहो

अजब है जल्दबाजी दौड़ मंजिल चूमने की।
हद है मगर इल्म नहीं असल राह पकड़ने की।

तेज चमकता सितारा जो लुभाता हमें दूर से।
मुक्कमल कोशिशें ना की कभी उसे पुकारने की।।

प्यार,मौज,दोस्ती,खुशी हैं सभी चाशनी एक तार की।
जद्दोजहद हमने की भला कब कहो इनमें डूबने की।।

सच को बदनाम करने की कर रहे वो साजिशें।
ये भी है एक तरकीब मुफ्त नाम बटोरने की।।

बहुत दूर "उस्ताद"खोजने की है क्या जरूरत कहो।
चाहत हो अगर हममें खुद को शिद्दत से कबूलने की।।

@नलिन #उस्ताद

No comments:

Post a Comment