Friday, 30 September 2016

नवरात्रि की इस शुभ बेला पर झूम उठी ये सृष्टि सारी

नवरात्रि की इस शुभ बेला पर झूम उठी ये सृष्टि सारी 
माँ शारदा,लक्ष्मी,काली की गूँज उठी देखो किलकारी। 
सत,रज,तम और वात,पित्त,कफ के सन्तुलन की है तैयारी 
नव-दिन में तन-मन साधन की,साधक में होती है बेकरारी।
नवदुर्गा के नवरूप मनोहर,नवधा भक्ति की है बलिहारी 
अंबे-अंबे पार लगा इस भवसागर से,ये भाव बहे संचारी। 
तंत्र-मन्त्र,यज्ञ-दान और कहीं जगराते की होती है तैयारी 
माँ तो है करुणा की देवी,एक पुकार सबकी लाज संवारी।
श्री,समृद्धि,शक्ति,शांति की ,घर-घर बहे बयार हितकारी 
निश्छल नतमस्तक हों देवी के आगे तो मिटें कामना सारी।   

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