Thursday, 12 February 2015

312 - कान्हा तो संग खेलूंगी होली




कान्हा तो संग खेलूंगी होली,आज तो मैं जम के 
बहुत भिगाया,तन-मन मेरा,अब दिखा तू बच के। 

रंग अनूठे,पक्के सारे,मैं लायी हूँ,चुन -चुन के 
देखूं कैसे जाता है तू ,अबकी मुझसे बच के।

नटवर-नागर,बड़ा खिलाडी,सब तुझको हैं माने
लेकिन मुझसे पड़ा है पाला,ये अबकी तू जाने। 

नाच नचाऊँ,ता-ता थईय्या,रंग दूँ रंग में अपने 
"नलिन"नैन निर्मल हो जाएँ,देखे तू मेरे ही सपने। 

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