Tuesday, 3 February 2015

309 - आ गया मधुमास


                                             आज प्रकृति में छा गया,एक अजब उल्लास। 

दसों दिशा, नृत्य करता आ गया मधुमास।

 हरी मखमली दूब का,धारण कर मोहक लिबास 
धरा का महका अंग-अंग,लिए अदभुत प्रभास। 

नील-आकाश,श्वेत मेघ उड़ते - विचरते 
संग पतंग थामे,बालवृंद किलोल करते। 

उपवन महके,मन चहके,पंछी कलरव करते 

तितली,भृंग,जड़-जीव सभी,मद में हुलसाते। 




रतिपति रचि -रचि,भोग-विलास नित करते 
शिव संग ध्यान मगन बस कुछ साधक बचते।  


"तारकेश"तुम तारणहार,जगतपति हम सबके 
तेरे चरणों की मधु के आगे,सब रस पड़ते फीके। 



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