Saturday, 27 July 2024

658: ग़ज़ल: वो अगर न ही होता तो कैसे होता

वो अगर न होता तो कैसे होता।
वो होता अगर भला कैसे होता।।

बेवजह के सवालों से बचकर चलो।
जो भी होता वो भले के लिये होता।।

सुकूं से रहते आप भी हुजूरे आला।
घौंसला जो किसी जुल्फों में होता।।

सदा देकर बुलाया था प्यार से उसने।
काश तब यकीन किया हमने होता।।

"उस्ताद" यूं ही ‌नहीं भटकते रहते आप।
सोचा थोड़ा अगर चलने से पहले होता।।

नलिन "उस्ताद" 

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