Friday 14 July 2023

रोम-रोम नलिन खिले

तेरी कारी घुंघराली पलकों पर कोटि कामदेव वारि पाऊं।  हे नटवर-नागर तेरी खातिर उपमान खोज कहाँ मैं पाऊं।।

कजरारे नैनों की रसभरी चितवन देख और कहाँ मैं पाऊं।
यदि हो असीम कृपा तेरी तो अनुभूति मैं भी थोड़ी पाऊं।। 

लाल बिंब फल सदृश अधरन को चुंबन कपोल पर पाऊं। यह अभिलाषा उर की मेरी,बता कौन घड़ी सच में पाऊं।।

दंत पंक्ति स्फटिक तुल्य चमचम चमकती विलक्षण पाऊं।
चुरा ले जो चैन सर्वांग मेरा फिर भला ठौर कहाँ मैं पाऊं।।

हे गोविंद दो सुमति मुझको ध्यान तेरा हर क्षण कर पाऊं। रोम-रोम नलिन खिले सहस्त्रदल यही कृपा तेरी मैं पाऊं।।

नलिन@तारकेश

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