Saturday, 22 July 2023

550: ग़ज़ल: दूसरे की खुशी में

चलो दर्द मुझे मेरा ये एहसास तो दिलाता है।
घबरा नहीं यारब अभी तू मरा नहीं जीता है।।

खुशियों के समंदर में डूबकर खुद को खो दिया है।
दर्द ही है वो शै जो हमें खुद से ढूंढ कर मिलाता है।।

सफर में चलते-चलते पांवों में छाले पड़ गए तो क्या।
आंखिर जोश और जुनून ही तुझे मंजिल दिखाता है।।

तेरी गली से गुजरे एक जमाना हो गया हमको याखुदा।
अब तो हर रोज ख्वाब तेरा मुझको तुझसे मिलाता है।।

दूसरे की खुशी में जब खुशी दिल से मिले "उस्ताद"।
रंजोगम अपना कोई भी बड़ा कहाँ जरा याद आता है।।

नलिनतारकेश@उस्ताद

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