Thursday, 8 September 2022

464:ग़ज़ल

है अपने पास क्या सिवा एक दुआ। 
होगा वही आंखिर जो मंजूरे खुदा।।

जो चौखट पर उसकी रहा बावफ़ा।
करता है वो उसको सबकुछ अता।।

ये दुनिया,ये कायनात यूँ ही नहीं चल रही।
वो तो करना चाहता है हम सबका भला।।

प्यार में,रंज में बस गुफ्तगू रब से किया करो।
जीने का असल जिंदगी बस यही है फलसफा।।

बगैर उसके सांसो में न महक है,न ताजगी है।
सो करते रहो हर हाल बस उसका शुक्रिया।।

जीत लिया दिल जिसने मां-बाप का अपने।
खुदा को उसने अपना खादिम बना लिया।।

आंचल में चांद,तारे,आफताब हैं जाने कितने।
दीदार पर कर न पाया कभी "उस्ताद" उसका।।

नलिनतारकेश@उस्ताद

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