Sunday, 26 December 2021

गजल 409 नशे में चूर हो गए

तुम हमारे हम तुम्हारे जबसे हो गए। 
जिंदगी के रास्ते आसां तबसे हो गए।। 

अजनबी थे हम कभी एक मोड़ पर यारब।
पड़ी पेंगें प्यार की तो एक दूजे के हो गए।।

परिंदे खुले आकाश में उड़ते हुए देखिए बांवले हैं। 
ख्वाब हमारे भी हकीकत में उनके जैसे हो गए।।

किसी ने कब था सोचा कि ऐसा भी हो जाएगा।
अब तो रेत में हर ओर गुलशन महकते हो गए।।

जश्ने बहार का दौर तो अभी शुरू हुआ है जनाब।
आप तो अभी से ही "उस्ताद" चूर नशे में हो गए।।

@नलिनतारकेश

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