Sunday, 12 December 2021

गजल-405 कायल करके ही रहेंगे।

तुझे चाहा है हमने तो दर्द भी सहेंगे।
जिक्र किसी से न मगर इसका करेंगे।।

अश्क सरेआम तेरे गम में बहाए क्यों।
अंधेरी रात तन्हा हम चुपचाप रोएंगे।।

फासले हैं तो बस एक तेरी जिद के चलते।
चौखट से मगर कभी हम उठ के न जाएंगे।।

आशिकों की मुसलसल* चाहत रहा है तू।*लगातार 
बगैर अपना बनाए तुझे जाने कहाँ देंगे।।

देखा ही कहाँ है "उस्ताद" तूने अंदाज़ अपना।
देर-सबेर कायल हम तूझे अपना करके ही रहेंगे।।

@नलिनतारकेश

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