Wednesday, 16 January 2019

गजल-88 भीड़ में सभी

भीड़ में सभी दिखते साथ हैं।
कहां वो मगर चलते साथ हैं।।

हर तरफ है यूं मौजों का मेला।
संग कहां इसमें बहते साथ हैं।।

प्यार का रंग इतना गहरा चढा।
दूर रह कर भी हम रहते साथ हैं।।

इस जुनून को सच्ची इबादत कहो।
मुहब्बत जो रोज बिलखते साथ हैं।।

गिला मुझे तुमसे कोई कभी भी ना रहा।
संग फूलों के कांटे तो लगते साथ हैं।।

"उस्ताद"सांस ये चलती है तभी तक।
आशिकाना जब तलक रिश्ते साथ हैं।।



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