Thursday, 3 January 2019

गजल-71 रात हो तो भी

रात हो तो भी सुबह का जरा माहौल बना लो। गम छुपा खुशी का सुनहरा माहौल बना लो।। 

यूं बता देगा तजुर्बा दर्द और खुशी एक है। जीने को जिंदगी तुम खरा माहौल बना लो।।

वो बुरा है तो हुआ करे तुम्हें क्या करना।
बस तुम हवा के साथ लहरा माहौल बना लो।

दुनिया की हकीकत से हो गर जरा भी बावस्ता*।*सम्बद्ध/जुड़े होना
कांटों में भी फूल सा मुसकरा माहौल बना लो।।

छोड़ दुनिया का फलसफा खुद से बतियाया करो।
"उस्ताद"की संगत हरा-भरा माहौल बना लो।।

@नलिन #उस्ताद

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