Wednesday, 6 June 2018

वो मुझे चाहता है

वो मुझे चाहता है मगर कहता नहीं है।
ये अदा हो या खौफ मुझे भाता नहीं है।।

दोस्त बनकर भला साथ निभाता नहीं है। दुश्मनी के वो तो जरा भी काबिल नहीं है।।

आबोहवा में वतन की घोल रहे जहर जो लोग खाहमखाह।
निरे बेवकूफ जानते नहीं तब उनका भी गुजारा नहीं है।।

हवा-पानी,पेड़-पौधे,आकाश-मिट्टी सभी।
जतन बगैर इनका किए मुमकिन जीना नहीं है।।

यहां पैरोकार बनकर खड़े हैं जो साथ एक दूसरे के आज।
बहक ना जाना इनसे कहीं ये तो अपने मां- बाप के नहीं है।।

बहुत प्यार से देखा है उसने मुझे।
कहीं मुझसे उसे कोई काम तो नहीं है।।

"उस्ताद"जियो तो बिन्दास जिंदगी चार दिन की।
बंदे को खुदा के किसी की भी दरकार नहीं है।।

@नलिन #उस्ताद

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