Friday, 22 June 2018

रहो मस्त ग्रीष्म ऋतु में

रहो मस्त ग्रीष्म ऋतु में
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नलिन पाण्डे "तारकेश"

प्रकृति के स्वभाव में परिवर्तन शीलता रची-बसी है।कभी शहर की शीतलता कभी बसंत की अनोखी सुषमा कभी ग्रीष्म का प्रचंड उत्ताप तो कभी वर्षा की मनमोहक बौछार। हमारे देश में तो वैसे भी प्रकृति अपने विविध रंगों की छटाएं लेकर सदा डेरा डाले रहती है अतः जाड़ा गर्मी बरखा बसंत के अलावा भी शरद और हेमंत ऋतु का मौसम हमें देखने को मिलता रहता है।इसमें बंसत तो रितुराज है और सभी को मनभाता है और कुछ हल्की ठन्ड  और हल्की  बरखा का मौसम भी अच्छा लगता है लेकिन ग्रीष्म ऋतु की आहट ही पसीने छुड़ाने लगती है। लेकिन "बिन दुःख के है सुख निस्सार/ बिन आंसू के जीवन भार"इन पंक्तियों का मर्म प्रकृति से बढ़कर भला कौन सिखा सकता है। प्रकृति क्योंकि हमारी मां के समान ही देखभाल करती है सो वह चाहती है कि सुकुमारता की छांव से हटकर हमें कुछ समय कठोर परिस्थितियों में भी तपना चाहिए। सोने को भी तो तपना पड़ता है और तपकर ही वह कुन्दन बन अत्यंत मूल्यवान बन जाता है।

होली का त्योहार जब विदा होता है तो वह कुछ पहले से ग्रीष्म ऋतु की पदचाप सुना देता है तभी तो होली में रंग भरे पानी से तन मन भिगोते हम "बुरा न मानो होली है"कह पाते हैं ।15 अप्रैल से सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में भ्रमण करने लगता है तो धरा पर सीधे पड़ने वाली उसकी किरणों की दीप्ति में प्रबल प्रखरता बढने लगती है। दिन की अवधि लंबी हो जाती है। आप लाख आलस करना चाहो सूर्य देव कान पकड़कर जल्दी उठा ही देते हैं। वैसे भी इस में ही भलाई होती है क्योंकि झटपट उठकर नहाने धोने से ताजगी तो हमें ही आती है।सुकून भी खूब मिलता है।

अब जब आधुनिक विज्ञान का वरदहस्त हम पर कृपा को प्रस्तुत है तो "मौसम की मार" जैसे जुमले बहुत हद तक बेमाने लगते हैं । एसी फ्रिज कूलर जैसे दिन-ब-दिन उन्नत तकनीक से लैस होते उपकरण हमारी ख़िदमत को बाजार में अटे पड़े हैं। यूं यह उपकरण और लग्जरी लाइफस्टाइल का प्रतीक नहीं रहे। अब तो यह जीवन का अटूट हिस्सा बन चुके हैं।अब हमारे घर कूलर एसी से युक्त होते हैं ।ऑफिस जाते हैं तो वहां ऐसी होता है घर से कहीं बाहर निकलते हैं तो कार गर्मी को चिढ़ाती है वही शॉपिंग के लिए मॉल के अंदर घुसते ही स्वर्ग की सी अनुभूति होती है। घन्टों गुजर जाते हैं और मनमाफिक मौसम सदाबहार बन छाया रहता है। सनग्लासेज जिन्हें 1929 के आसपास "सन चीटसॆ"कहा जाता था आज फैशन व आपके लुक के साथ आंखों को भी कूल किए रखते हैं ।अब तो गरमी को पटखनी  देने को शीत प्रदायक वस्त्रों के निर्माण की भी खबर है। कोल्ड ड्रिंक्स आइसक्रीम की अनगिनत
वैराइटी फ्लेवसॆ देख कर तो गर्मी का सा दिलदार मौसम कोई लगता ही नहीं है।

हां यह तो है कि कितनी भी दलीलें दो गर्मी का मौसम है तो सख्त मिजाज ही।जरा सी लापरवाही हुई नहीं खानपान में तो फिर बच्चू खैर नहीं।सो उसके लिए संतुलित आहार पर तो ध्यान देना ही पड़ेगा। सबसे पहले तो पानी की खपत बढ़ानी होगी।यह सबसे सस्ता सरल टौटका है। तीन से चार गिलास नहीं 5से6 गिलास पानी तो पीना ही पड़ेगा। रात 10:00 बजे जागें तो हर एक घंटे में एक गिलास पानी पी सके तो बहुत उम्दा। इससे वात पित्त प्रकोप का भय नहीं होगा शरीर की स्नगधता भी बनी रहेगी।बाजारू शीतल पेय के बजाय घर में ही पुदीना नीबू खीरे का शरबत स्वास्थ्यवर्धक रहता है। गन्ने का रस अधिक गर्मी के कारण उल्टी होने पर शहद के साथ फायदा पहुंचाता है तो पेट हृदय के रोग व पीलिया में लाभ करता है। बेल का रस तो इस दौरान रामबाण है ही ।लेकिन गर्मी के मौसम की खासियत की जब चर्चा हो और फलों के राजा आम की चर्चा न हो तो सब बेमानी है।ग्रीष्म रितुजन्य रुक्षता व दुर्बलता को दूर करने के लिए आम प्रकृति का वरदान है। पका देशी आम मधुर स्निग्ध वायुनाशक बल वीयॆ जठराग्नि व कफवधॆक लौह तत्व व विटामिन ए बी सी डी से भरपूर होता है ।आम चूस कर खाना ज्यादा गुणकारी है। आम का पना दही की लस्सी भी मौसम में फायदेमंद होती है।दलिया चावल की खीर करेले टमाटर की सब्जी खीरा नींबू प्याज के सलाद का सेवन करने से गर्मी  भी खौफ खाती है ।सुबह नाश्ते में पपीता अमरूद अंकुरित अनाज जैसे
  चना मूंग उड़द का सेवन सुपाच्य एवं हल्के होने से कब्जनाशक होता है।हां ज्यादा चटपटी तली एवं मैदे से निर्मित खाद्य सामग्री का सेवन या चाय कॉफी की अधिकता से दूरी बनाए रखनी चाहिए। वैसे भी गरमी में भूख से थोड़ा कम ही खाना चाहिए और खाने के बाद हल्का टहलना अच्छा रहता है।सुबह शाम थोड़ा बहुत हल्का-फुल्का व्यायाम भी हो जाए तो क्या बात है !शरीर में सक्रियता और ताजगी बनी रहेगी ।अब अगर इन बातों पर ध्यान रखते हुए  इस गर्मी भर अमल किया जाए तो कहना ना होगा की पूरी शान और ऊर्जा से लबालब भरे हुए आप ग्रीष्म ऋतु का भरपूर लाभ उठा सकेंगे।

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