पितरों की स्मृति को नमन है भाव से
कृतज्ञता चरणों में रखते हम भाव से।
जो भी हैं हम आज इस संसार में
मात्र आपकी कृपादृष्टि के भाव से।
संस्कार,आदशॆ जो कुछ दिया आपने
चाहते उसको बढाना बस भाव से।
जौं,तिल,जल तो मात्र प्रतीक हैं
आप तो हैं प्रसन्न होते भाव से।
भूखा न जाए कोई दहलीज से
आस हमसे यही रखते भाव से।
मिलेगा प्रतिफल,नहीं है ध्यान में
करते हैं श्राद्ध हम बस भाव से।
पीढी दर पीढी चलता रहे ये सिलसिला
प्रभू को मनाते यही हम दिव्य भाव से।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Thursday, 7 September 2017
करते हैं श्राद्ध हम बस भाव से
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