Friday, 22 September 2017

कभी बरसात में

कभी बरसात में भीगना चाहिए
बरसाती को घर छोड़ना चाहिए।

मौसम भी बाॅवला हो सकता है कभी
खालिक* को कभी न भूलना चाहिए।(सृष्टि रचेता)

भटक सकता कभी भी कोई डगर
आईना न मगर तोड़ना चाहिए।

आलिम* भी नादानी कर जाते कभी (बुद्धिजीवी)
मौजूॅ# हर सवाल तो पूछना चाहिए।

गुनाह क्या और है क्या सवाब#(पुण्य)
दिल में उतर देखना चाहिए।

रूठो चाहे दुनिया से लाख मगर
खुद से"उस्ताद"बोलना चाहिए।

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