साफ़गोई से इश्क में कहिए कब कम हुई किसी की शान।।
हमारे खैरमकदम में कमी तो उसकी तरफ से ज़रा न थी।
सौंधी महक ही घर की मीलों से कर रही आने का एलान।।
सफर में चले हैं जब हम अपने घर की तरफ रुख करके।
दिल बल्लियों उछलने लगा है खुशी से हकीकत ये जान।।
ख्वाब हुए हकीकत में आज पूरे जितने भी थे इन्द्रधनुषी।
भरकर उसे बाहों में नीले आसमां जब भरी ऊंची उड़ान।।
पढ़ तो सकता है"उस्ताद"नजूमी आने वाले कल का हाल।
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