चलो देर-सबेर याद तो आई तुम्हें हमारी।।
यूं मुझे पक्का यकीं था,आखिर ये होगा ही।
रही थी जब जन्मों से हमारी दोस्ती रूहानी।।
कुछ कदम भटकना तो महज़ फितरत है।
गलतियों से ही सबक सीखता है आदमी।।
कुछ बातें यूं और हैं मगर जिक्र करूंगा नहीं।
दर असल बातों से ही बात निकल हैं बढ़ती।।
"उस्ताद" जिंदगी में आसां नहीं फैसला पढ़ना।
किसी भी काम में होती ठीक नहीं जल्दबाजी।।
नलिन "उस्ताद"
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