कमबख़्त दर्द को न्यौता तो हमने ही दिया है।
एकलौता दिल उनसे जो हमने लगा लिया है।।
वो खतावार है इसमें कोई शक ओ शुबह नहीं।
मासूम दिल चुराने का काम उसने ही किया है।।
कौन समझ सकता है भला हमारे दिल का हाल।
दर्द का सैलाब तो हर सांस-सांस हमने जिया है।।
पर्दा-दारी भी करें तो आखिर कब तक करें हम।
ये राज़ सारा हमारा अश्कों ने कर दिया बयां है।।
उल्फ़त के उलूस में बंध अपना किरदार जीने के लिए।
जाने कितना बेहिसाब "उस्ताद" हमने रंज पिया है।।
नलिन "उस्ताद"
Kya baat h..kambhat dard..wah👍
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