सांवली सलोनी ऐसी छवि है हमारे कृष्णज्यू सरकार की।
अनंत कोटि अनंग भी लजाते देख कृष्णज्यू सरकार की।।
पीत झगुली झीनी-झीनी पहना जब सजाती नन्दलाल को।
मां यशोदा काजल लगाती नजर जो न लगे नन्दलाल को।।
अश्रुपूरित सजल नलिन नैन,गोपी सर्वत्र देखती कृष्ण ही।
भाव-विभोर क्या कहें,सो चाहती पढ़ें स्वयं हमें कृष्ण ही।।संग सखा अपने नंदनंदन काटते ऊधम हर गली गली ही।
दूध-दही खा चुपके-चुपके,हैं निडर विचर रहे हर गली ही।।
अद्भुत अलौकिक सुधा रस बरसाती प्रीत राधा-कृष्ण की।
भक्त सुकोमल हृदय आतुरता,मात्र दर्शन राधा-कृष्ण की।।
ब्रह्मा,विष्णु,तारकेश सब देव,नभ से झरझराते,पुष्पांजली।
तुमुल उदधोष से देते सबको बधाई कृष्ण जन्माष्टमी की।।
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