Wednesday 14 August 2024

६७४: ग़ज़ल जय हिंद वंदे मातरम से आज गूंजता आसमान रहा है

जय-हिंद,वंदे-मातरम से आज गूंजता आसमां रहा है।
मगर देखना है कल भी क्या ये दम-खम बचा रहा है।।

सोशल मीडिया पर ये ट्रेंड खूब जम के चला है आज।
नौनिहाल को बॉर्डर पर भेजना भला कौन चाहता है?

आज़ादी है बड़ी खूबसूरत मगर एक बन्धन है प्यारा भी।
हर हाल शिद्दत से हमें फर्ज मादर-ए-वतन निभाना है।।

किसी तरह जुगाड़ से मिल जाए फ्री सामान एक भी। 
बस हर कोई तो इसी उम्मीद में अपना वोट डालता है।।

जब हर तरफ घूम रहे हों बेखौफ जंगली जानवर ही।
क्या कोई बना खुद से मचान उसपे चढ़ना चाहता है।।

"उस्ताद" बातें तो बहुत हो गई सर्वे भवन्तु सुखिन:की।
हम-तुम ही जो न रहे तो इन बातों से तू जताता क्या है।।

नलिन "उस्ताद"

1 comment:

  1. Jai hind..Jai Bharat..har ghar tiranga 🇮🇳

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