बेसुरे गाते सुरमई जब-जब हौसला अफजाई हुई।।
सुबह-सुबह मुझे उससे मिलकर ये लग रहा जैसे।
रात-भर वो पूरी किसी की याद में रही रोती हुई।।
सुहाने मौसम में मिल जाए जो कोई हमनशीन भी।
किस्मत है मेहरबां बात जो हक़ीक़त ए ज़मीनी हुई।।
जाने किस मिट्टी की बनी थी ये समझ आया नहीं।
घर लगी थी आग पर वो दिखी खिलखिलाती हुई।।
खिली है धूप एक तरफ और बरसात भी मस्त हो रही।
कौन कहता है भला एक म्यान में दो तलवार नहीं हुई।।
जन्नत है उसके आस्ताने में यह बात तय मान लो मेरी।
जिसने जो भी मांगा दिल से उसकी मन्नत है पूरी हुई।।
इश्क में किसी का साथ मिले या ना भी मिल पाए अगर।
"उस्ताद"इसकी तो है नाकामी में भी कामयाबी छुपी हुई।।
नलिन "उस्ताद"
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