Friday 16 August 2024

676: Gazal : यू हर वक्त निगाहों से किसी को तौलना अच्छा नहीं

यूं हर वक्त निगाहों से,किसी को तौलना,अच्छा नहीं।
फिर बांट,चुम्बक लगाकर तो,कतई भी अच्छा नहीं।।

मासूमियत तो छाई है उनके चेहरे पे,गज़ब की बहुत।
असल चेहरा उनका कोई कभी भी,देख है पाता नहीं।।

हर उम्र की हैं कुछ बंदिशें तो कुछ होती आज़ादी भी।
दोनों का लुत्फ उठाने से मगर कभी तुम चूकना नहीं।।


हर दिन मिजाजे मौसम एक ही अन्दाज में ही झूमता गाता।
जाने फिर क्यों थक हार ये कभी अंगड़ाई लेता दिखता नहीं।


कह तो दिया है उससे,दिले हाल हमने,"उस्ताद" अपना।
चाहते हुए भी हमसे,जाने क्यों वो है,इकरार करता नहीं।।

नलिन "उस्ताद"

No comments:

Post a Comment