Tuesday, 17 January 2023

504:ग़ज़ल:: रोशनी से भरी ग़ज़ल

क्या रही बात जो तूने सोच समझ कर लिख दी ग़ज़ल। 
झर-झर झरने सी बहती रहे असल तो है वो ही ग़ज़ल।।

यकीनन तकलीफ,परेशानियों से तू गुजर रहा होगा।
लुत्फ मगर तब है जब दूसरों के दर्द कहे तेरी ग़ज़ल।। 

उंगली उठाने से दूसरों पर यार हांसिल कुछ होता नहीं। 
चाहिए कमजोरी को अपनी बयां करें हमारी ही ग़ज़ल।। 

कोहरा है हर कदम सर्द दिनों को लपेटे अपने चुंगल में।
हो सके तो लिख ऐसे माहौल में रोशनी से भरी ग़ज़ल।।

चांद सितारे आसमान में पूरी शिद्दत से लगे हैं इबादत में।
बात तो है "उस्ताद" तभी जब बने ये जिंदगी तेरी ग़ज़ल।।

नलिनतारकेश "उस्ताद"

No comments:

Post a Comment