Friday 21 May 2021

हे नाथ

हे नाथ,हे मेरे नाथ-प्रभु श्री राम।
बोलो कब करोगे मुझे तुम सनात।।
 मैं विकल करता कब से पुकार।
पर जाने क्यों देते नहीं कान।। 
यद्यपि अवगुणों से भरा हूॅ अथाह।
जानता हूॅ ये भली-भांति दयानिधान।। 
पर कहो तुम्हें छोड़ किस पर करूं आस। 
तुम ही तो हो सारे प्रश्नों का समाधान।। 
एक बार जब पकड़ लेते हो हाथ।
फिर कहां डूबने देते हो भवसागर मंझधार।।
जय श्रीराम। जय श्रीराम। मेरे श्रीराम।।

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