Friday 5 March 2021

326-गजल :ये तेरी रहमतों

ये तेरी रहमतों* का ही असर है।*कृपा
सुकूं ए जिंदगी न कोई कसर है।।
धन-दौलत,माल-असबाब बेकार सारे। 
चाहिए मुझे तो बस एक तेरी नजर है।।
उठापटक,जद्दोजहद भरी दुनिया में।
बता बिन तेरे कहाँ किसकी बसर है।। 
जो बैठ गया आस्ताने* पर आकर तेरे।*चौखट 
रात कहाँ रात उसकी तो वो सहर* है।।*सुबह 
खुदा की दुनिया में जरा गौर फरमाओ।
हर गम और खुशी सिलसिला ए बहर* है।।*छन्दबद्धता
मुतमइन* हूँ तेरा दीदार तो होकर रहेगा।*इत्मीनान 
यूँ ही तो नहीं "उस्ताद" ए जिगर है।।

नलिन "उस्ताद

No comments:

Post a Comment