Friday, 12 January 2018

दीदार के वास्ते आया

दीदार के वास्ते आया बहुत दूर से वो तो। मोबाइल में उलझा मिला मगर उसे शख्स वो तो।।

मजलूम को सताता ही रहा हर दिन वो तो। भुगतेगा जरूर उसकी आह एक दिन वो तो।।

हर हाल बहुत दौड़ा-भागा मंजिल को पाने के वास्ते।
चूमता है कामयाबी की बुलंदी तभी आज वो तो।।

गले लगा चूमने की हौस उसे दिल ही रह गई।
परदेश गया छोड़ मुझे जबसे कमाने वो तो।।

नगद अब कुछ नहीं जब से डिजिटल सब हो गया।
वजूद पर तबसे खुद का ढूढता है वो तो।।

चढा कर उसे सलीब में सब गमगीन हो गए। रहा चुपचाप सब जानता था वो तो।।

गंडा बाॅध शागिर्द तो बन गया पहले अदब से। छठी का दूध दिला रहा याद"उस्ताद"अब वो तो।।

@नलिन #उस्ताद

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