Wednesday, 10 January 2018

गजल-81 दिल टूटता है शायर का

दिल टूटता है शायर का तो ग़ज़ल होती है।
टूटे अगर दिल फकीर का तो खलल होती है।।

लाख चाहो किसी को कितना भी शिद्दत से तुम मगर।
पाक मुहब्बत तुलसी,मीरा की ही असल होती है।।

हर गलत-सही बात पर जो देती है गुरु-मंत्र हमको।
दिखाने में रास्ता वो रूह-ए-आंख कुशल होती है।।

अदाएं कनखियों से मारने की क्या कहिए उसकी।
शमशीर तो बस यूं ही बदनाम केवल होती है।।

जुल्फ दर जुल्फ हर लट सुलझाने जो चले। जाना तब जिंदगी और गरल होती है।।

धुंध जमी है जो अपने बीच फासले की।
देखें कब हम पर रोशनी अमल होती है।।

"उस्ताद" अब तुम ना समझे तो समझेगा कौन भला।
होती है हर बात वही जो उसकी पहल होती है।।

@नलिन #उस्ताद

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