उसकी चौखट पर जो कभी सजदा हो गया।
जिंदगी को जीना आसान अदा हो गया।।
कांटे मिलेंगे रास्ते में तो मिलते रहें।
मंजिलों से तो अपनी तजुरबा सदा हो गया।।
ज्यादा दूर की सोचें भला हम क्यों।
भरोसा जब खुदा पर कायदा हो गया।।
गिने किसी की कमी बिना देखे खुद को।
वो तो खुद में ही एक आपदा हो गया।।
चांद के चेहरे पर दाग है तो क्या हुआ।
है उजला दिल तभी तो वो अलहदा*हो गया।।
*विशिष्ट
आओ कमा लें कुछ सवाब*हम अपने लिए।*पुण्य
यूं कौन जाने चश्म**कब परदा हो गया।। ** आंखें
"उस्ताद" तुम भी कहां किस सोच में हो डूब गए।
सारा जहां ही जब तन्हा यदाकदा हो गया।।
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