लिख रहा हूं एक ताजी गजल।
छोटे बहर की ताजी ग़ज़ल।।
संगमरमर सा तराशा है इसे मैंने।
है गुलकारी चिकन की ताजी ग़ज़ल।।
सलमा सितारे टांके हैं इसमें।
हैरत में है डाले ताजी गजल।।
देखोगे जैसी दिखेगी वैसी।
काली,पीली,नीली ताजी गजल।।
मजाक नहीं है सही में महक इसमें।
सोंधी-सोंधी मिट्टी की ताजी गजल।।
उकेरी रंगे-मस्ती,जज्बात के साथ।
दिले-कैनवास रूहानी ताजी गजल।।
ओढी-बिछाई"उस्ताद"ने ये तो।
लिखना छूटे कहां अब ताजी गजल।।
@नलिन #उस्ताद
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